भारत के केन्द्रीय नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने हाल ही में आयातित सोलर सेल पर 20 फीसदी, जबकि मॉड्यूल पर 40 फीसदी टैक्स लगाने के प्रस्ताव को मंजूरी दिया था, जिसे 1 अप्रैल 2022 से लागू भी कर दिया गया।
: इसका अर्थ यह है कि सोलर सिस्टम को लगाने में अब ग्राहकों को बीते साल के मुकाबले करीब दोगुना अधिक खर्च का सामना करना पड़ेगा। ऐसे में, यदि आप अपने घर में सोलर सिस्टम लगाने की योजना बना रहे हैं, तो आपको इसके हर पहलू को बारीकी से समझना होगा, ताकि आपका पैसा गलत जगह पर न फंस जाए और उसका बेहतर से बेहतर इस्तेमाल हो।
तो, आज हम इस लेख में आपको सोलर सिस्टम को लगाने में आने वाले खर्च और टेक्नोलॉजी से लेकर उन विश्वसनीय सोलर कंपनियों के बारे में भी बताने जा रहे हैं, जिन्होंने अपने उन्नत उत्पादों से लोगों का दिल जीतने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी है।
सोलर पैनल की कीमत, 2022
जब हम सोलर मॉड्यूल (Solar Panels) की बात करते हैं, तो हम अमूमन 440 वाट, 530 वाट, 545 वाट जैसे मॉडलों के बारे में बात कर रहे होते हैं। क्योंकि, 10 वाट या 20 वाट वाले मॉडलों को खरीदने के लिए लोगों को ज्यादा रिसर्च या चिन्ता की जरूरत नहीं होती है।
Average Cost ₹26,000
Lowest Cost
₹1,050
Highest Cost
₹35,000
यहां हम आपको कीमतों के बारे में बताने जा रहे हैं –
न्यूनतम – बाजार में 440 वाट के सोलर पैनल्स की न्यूनतम कीमत 20 हजार रुपये है।
औसतन – 440 वाट के सोलर पैनल्स की औसतन कीमत 23 हजार है।
अधिकतम – लूम सोलर बाजार में सबसे उन्नत सोलर पैनल्स को लॉन्च करने के लिए जानी जाती है। कंपनी ने 440 वाट के मॉड्यूल के लिए 26 हजार रुपए निर्धारित किए हैं।
Technology के अनुसार सोलर पैनल की कीमत
solar panel technology
आइये जानते हैं सोलर पैनल से जुड़े विभिन्न विषयों के बारे में –
1. Polycrystalline Solar Panels
पहले पॉलीक्रिस्टलाईन सोलर पैनल्स की काफी माँग थी। लेकिन 2022 में 330 वाट तक के पॉलीक्रिस्टलाईन सोलर पैनल्स को बंद कर दिए गए हैं। इसकी वजह यह रही है कि बाजार में इनकी कोई खास माँग रह नहीं गई थी और लोगों को इतने ही कीमत पर अधिक क्षमता के सोलर पैनल मिल रहे थे।
c. Monocrystalline Solar Panels
इस तरह के सोलर पैनल को बिल्कुल ही खामी-रहित सिलिकॉन क्रिस्टल से बनाए जाते हैं। जिस वजह से इनकी बिजली को बनाने की क्षमता पॉली सोलर पैनल से कहीं अधिक होती है। साथ ही, इन्हें लगाने में खर्च भी कम आता है।
मोनो सोलर पैनल के तहत भी बाजार में दो तरह के उत्पाद आते हैं –
a) Mono Perc Solar Panel : मोनोक्रिस्टलाईन सोलर पैनल के सामान्य मॉडलों का रेंज 340 वाट से शुरू होता है। इसकी क्षमता 5 बजुआर होती है।
b) Half cut Solar Panel : इस तरह के सोलर पैनल्स 9 बजुआर के साथ आते हैं। आज अधिकांश सोलर पैनल पर ग्राहकों को करीब 25 साल की वारंटी मिलती है और जब वे अपनी छतों पर सोलर पैनल लगा रहे होते हैं, तो उस समय तो उनकी छतों पर धूप आसानी से मिल जाती है। लेकिन आने वाले कुछ वर्षों के दौरान उनके आस-पास कई ऊंची इमारतें बन जाती है, जिससे उन्हें सीधी धूप नहीं मिल पाती है।
ऐसे में, सोलर पैनल्स अपनी पूरी क्षमता के साथ बिजली का उत्पादन नहीं कर पाते हैं। लेकिन, हाफ कट सोलर पैनल्स की खासियत यह होती है कि इसे छह भागों में बंटा हुआ रहता है और किसी एक भाग पर भी यदि थोड़ी से धूप मिल जाए, तो ये पूरी क्षमता के साथ बिजली का उत्पादन करते रहते हैं।
Bifacial Solar Panels
इस तरह से सोलर पैनल्स (Bifacial solar panel) दोनों ओर से बिजली का उत्पादन करते हैं। कई लोग इसे सोलर रूफ के रूप में भी इस्तेमाल करते हैं। इससे उन्हें छत के नीचे काफी जगह मिलने और पानी से बचाव होने के साथ ही, बिजली भी मिल जाती है। इसकी इफिशियंसी करीब 530 वाट की होती है।
लेकिन, इसकी अपनी सीमाएं भी हैं। दरअसल, इस सोलर पैनल को ऊंचाई पर लगाना जरूरी है। नहीं तो आपको बैक साइड का फायदा नहीं मिलेगा और बिजली बनने में काफी दिक्कत आती है।
इसके अलावा, आप 530 वाट या 540 वाट के Mono Perk सोलर पैनल को भी प्राथमिकता दे सकते हैं, जो कम जगह में अधिक बिजली उत्पन्न करने में सक्षम है।
सोलर पैनल लगाने से कितनी होगी बचत?
solar panel benefits
भारत के किसी भी मेट्रे सिटी में, किसी 3 BHK घर में आमतौर पर 60 से 70 हजार रुपए की बिजली बिल आती है। वहीं, छोटे घरों में 20 से 25 हजार की बिल आती है। लेकिन सोलर सिस्टम के इस्तेमाल से आप 90 फीसदी बिजली बिल से छुटकारा पा सकते हैं। वहीं, कार्मिशियल क्षेत्रों में आपको 80 फीसदी राहत मिल सकती है।
आपको कितने सोलर पैनल्स की पड़ेगी जरूरत?
solar panel for home
सोलर पैनल का चयन हमेशा आपकी जगह और जरूरत के हिसाब से होती है। यदि आपका घर छोटा है और आपके पास 1 एएच की एक बैटरी है, तो आपके लिए एक सोलर पैनल पर्याप्त है। लेकिन, यदि आप इससे मोटर या एसी चलाने जैसे अन्य फायदे भी उठाना चाहते
हैं, तो आपको कम से कम 3 किलोवाट सोलर पैनल की जरूरत पड़ेगी। इस तरह, आदर्श रूप से एक से छह सोलर पैनल की जरूरत पड़ती है।
सोलर पैनल का चयन कैसे करें?
how to choose solar panel
सोलर पैनल को खरीदने के दौरान निम्न बातों का ध्यान रखें।
1. Technology – सबसे पहले यह तय करें कि आपके लिए मोनो सोलर पैनल का सामान्य मॉडल अच्छा है या हाफ कट अच्छा है या फिर आप Bifacial Solar Panel को प्राथमिकता देना चाहेंगे।
2. Efficiency – टेक्नोलॉजी और एफिशियंसी आपस में संबंधित है। भारत में जितने भी सोलर पैनल मिलते हैं, उनकी एफिशियंसी रेट 22.5 फीसदी होती है।
इसका अर्थ यह है कि एक सोलर पैनल करीब 2 वर्ग मीटर का होता है और एक वर्ग मीटर सोलर पैनल पर करीब 1000 किलोवाट धूप पड़ती है। इस तरह, 2 वर्ग मीटर पैनल पर 2000 किलोवाट धूप पड़ती है, जिससे करीब 530 किलोवाट बिजली का उत्पादन होता है। जो करीब 22.5 फीसदी है।
पहले यह एफिशियंसी रेट 14 फीसदी होती थी। लेकिन अब 22.5 होती है। इसका मतलब यह है कि आपका सोलर पैनल जितना बड़ा होगा, उससे उतनी अधिक बिजली बनेगी।
3. Durability – कई लोगों के मन में आशंकाएं होती हैं कि सोलर पैनल काफी कमजोर होते हैं और थोड़ी से ठोकर से वे टूट जाएंगे। लेकिन आजकल टेक्नोलॉजी काफी उन्नत हो गई है और इसे आसानी से नहीं टूटते हैं। क्योंकि, ये सोलर पैनल्स 3.2 एमएन के टफएंड ग्लास से
लैस होते हैं। इसके अलावा, आप फ्रेम और जंक्शन बॉक्स में लगे वायर को भी परख सकते हैं।
4. Customer Reviews – किसी भी सोलर पैनल को खरीदने से पहले उसके कस्टमर रिव्यू को जरूर पढ़ें। साथ ही, यह भी देखें कि आपके एरिया में कंपनी के डीलर्स या कोई सर्विस सेंटर फैसलिटी है या नहीं। अन्यथा, सोलर सिस्टम में थोड़ी से दिक्कत आने के बाद भी, आपको बड़े परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
किस मौसम में लगाएं सोलर सिस्टम?
सोलर पैनल को लगाने के लिए गर्मी से पहले का मौसम सबसे अच्छा है। इसकी वजह यह है कि यदि आप सोलर पैनल को गर्मी के दिनों में लगाते हैं, तो इस दौरान अमूमन तापमान 35 से 45 डिग्री के बीच होता है। वहीं, धूप जब सोलर पैनल पर पड़ती है, तो वह असहनीय रूप से 60 से 70 डिग्री सेल्सियस तक गर्म हो जाता है, क्योंकि उस पर एलुमिनियम की फ्रेम लगी रहती है।
वहीं, यदि इसे आप सर्दियों के मौसम में लगाते हैं, तो इस दौरान तापमान 10 से 15 डिग्री के बीच होता है, जिससे इंजीनियरों को सोलर पैनल लगाने में कोई परेशानी नहीं होती है।